अगला चुनाव नोटा का,लोकतंत्र के सोंटा का।।अगर आपको संदेह है कि यह लोकतंत्र का सोंटा है!तो इसे सोंटा बनाना मतदाताओं के हाथ में है। मित्रों,अग्रज एवं अनुज, . सभी को समालकम्।।। ऊपर का वाक्यांश मेरा नीजि तथा विश्व समालक संघ का विचार है। पिछले कुछ दिनों और खासकर चार घंटों से बहुतों ने लाइक किये और कमेंट भेजे,साथ हीं दलों के अंधभक्तों से अपशब्द भी मिले।खैर इस संदेस के माध्यम से स्पष्ट करुँगा कि....ऐसा क्यों? सन 14 के बाद का यह पहला आम चुनाव 19 में है।वह चुनाव जिन मुद्दों पर हुआ ,वे तीनों आज भी बरकरार हैं,वल्कि आज और विकृत हो गये हैं,ऐसे में राष्ट् और नेताओं को सन् 2011/12 और 1974 की क्रातिओं की जमीन पर पुनः खींच लाने और उन मुद्दों का आईना दिखाने के लिए आवाम क्या करे? मुझे तो यह सबसे अच्छा विकल्प दिखता है,राष्ट् और लोकतंत्र को बचाने के लिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि दो ढ़ाइ दसकों में नेता मोदी पिछले नेताओं से कुछ अलग है,लेकिन वह भी सिस्टम के सामने नत् मष्तक है!फिर मतदाता के पास अब क्या विकल्प है।......आगे आप विश्लेसित करें.......जय हिन्द।
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