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उप सूत्र;-प्रेम सभी जीव और मानव के लिये लौकिक रूप में परस्पर उत्पन्न होने वाले दो तरंगों के समानान्तरीकरण से शुरू होता है, जिसका प्रगटीकरण यौन सबंध से होता है। *समालक दर्शन*