सनातन समालक दर्शन के आलोक में .............. सनातन आदियुग से क्रमश विकसित एक परमपरा है ,जो मानव और मानवता आधारित् है| यह देश,काल और परिस्थिति का पूरक है| स्थान परिवर्तन के साथ यह क्रमशः विकसित घर्म का पूरक भी है| वस्तुतः यह प्रकृति का पूरक है|
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