प्रलय की आहट ?
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आज के दैनिक भास्कर की पहली खबर शरद पाण्डेय की है।
खबर में सनसनीखेज और अत्यंत चिंताजनक सूचनाएं हैं।
शीर्षक और उप शीर्षक पर एक नजर डालिए--
10 साल पहले थीं 15 हजार नदियां,
70 साल पहले थे 30 लाख कुएं,तालाब।
लेकिन
सूख गईं 4500 नदियां और गायब हो गए
20 लाख तालाब, कुएं, झील
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ये खबर इसलिए जरूरी क्योंकि
........................................................................
नीति आयोग के अनुसार 2030 तक देश के 40 प्रतिशत
लोगों की पहुंच पीने के पानी तक नहीं होगी।
अब फिर मानसून आ गया है,आज पानी सहेजा तो स्थिति बदलेगी।
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मेरी टिप्पणी--
इस बीच सरकार तत्काल एक काम तो कर ही सकती है।
सार्वजनिक तालाबों की जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाए।
कम से कम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान करे।
लोगबाग पानी के बिना मरने लगें,उससे पहले यह काम किया जा सकता है।
अब तो यह साफ है कि अगली बार जब प्रलय आएगा तो उसके लिए मानव के रूप में आज के दानव ही जिम्मेदार होंगे जो जल बचाने के उपायों में बाधक हैं।
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आज के दैनिक भास्कर की पहली खबर शरद पाण्डेय की है।
खबर में सनसनीखेज और अत्यंत चिंताजनक सूचनाएं हैं।
शीर्षक और उप शीर्षक पर एक नजर डालिए--
10 साल पहले थीं 15 हजार नदियां,
70 साल पहले थे 30 लाख कुएं,तालाब।
लेकिन
सूख गईं 4500 नदियां और गायब हो गए
20 लाख तालाब, कुएं, झील
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ये खबर इसलिए जरूरी क्योंकि
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नीति आयोग के अनुसार 2030 तक देश के 40 प्रतिशत
लोगों की पहुंच पीने के पानी तक नहीं होगी।
अब फिर मानसून आ गया है,आज पानी सहेजा तो स्थिति बदलेगी।
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मेरी टिप्पणी--
इस बीच सरकार तत्काल एक काम तो कर ही सकती है।
सार्वजनिक तालाबों की जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाए।
कम से कम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान करे।
लोगबाग पानी के बिना मरने लगें,उससे पहले यह काम किया जा सकता है।
अब तो यह साफ है कि अगली बार जब प्रलय आएगा तो उसके लिए मानव के रूप में आज के दानव ही जिम्मेदार होंगे जो जल बचाने के उपायों में बाधक हैं।
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