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Saturday, October 16, 2021

गीत-20 और 23 ''गुजरे पल- २' " आंचल में मधु बांध, नयन में; ऋतु- श्रिंगार रस घोल प्रिय "/" एक बार और श्रृंगार करो;घन पट घुंघट के पार करो"

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