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Sunday, November 7, 2021

नई दिशायें "उनमुक्त गगन, उनमुक्त पवन, उनमुक्त चलन की बात करो"

उन्मुक्त गगन,उन्मुक्त पवन,उन्मुक्त चलन की बात करो; नई सदी की आबोहवा में, खुले नयन की बात करो. नई पीढ़ी की सोच नयन का,कुछ इतना विश्लेषित हो; आस-पास और दसो दिशाएं,खुला खिला समन्वितहो. अपनी खुशियाँ, देश की खुबियां और समाज का स्रजक बने; पारिवारिक माहौल में चंदा ठहरे, हंसता खिलता तन-मन हो.

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