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Thursday, November 30, 2023

4.3 मेरा मत --थौट:एक नव विकासित बल ('मेरा मत' सेरीज के पांच आलेख WORLD SAMALAK ORGANIZATION के साइट पर है) यह छठा आलेख है।

यहाँ स्पष्ट करना आवश्यक है कि शरीर की दो अवस्था है, मानसिक और शारीरिक। आज का विज्ञान का द्वार शारीरिक संचालित " वर्क, पावर और एनर्जी" से खुलता है और विकसित होकर यहाँ तक आया है। इस सदी में और आगे बढ़ने के लिए दिमाग से संचालित " वर्क, पावर और एनर्जी " से अगला द्वार खुलेगा। " मेरा मत " सेरिज के आलेखों से इस ओर मैं आगे बढ़ रहा हूँ। जिसका आधार है, " प्रकृति प्रदत विचार " जो समालक थियोरी" के अनुसार एक वाइटल फोर्स है,जिससे कार्य भी होता है, शक्ति भी मिलती है और उर्जा का संचार भी होता है। केवल विचार कीअवस्थाएँ अलग अलग है। तत्काल यहाँ पर गणितीय आधार मसलन रेखा, बिन्दु, शून्य और अंकों की मूल स्थिति स्पष्ट करना आवश्यक है। अक्षर, शब्द, भाषा के बनने के पहले निराक्षरावस्था काल में क्रमिक विकास की स्थिति है, जहाँ स्वस्फुर्त दर्शन को रेखाचित्र और स्वर्स्फूत आवाज से कालांतर में क्रमिक विकास हुआ, अक्षर बने और शरीर के अलग अलग अंगों ( जिसमें धर से ऊपर के अंगों का विशेष योगदान है)से ध्वनित उच्चारण को वर्गिकृत करके शब्द,रेखा गणित और अंक गणित का निर्माण हुआ है और विषय अर्थात सब्जेक्ट बने। लेकिन सबकी जड़ें वही परमानंद की स्थिति है। इसके बाद प्रकारांतर से विषय को कला,विज्ञान और वाणिज्य में विभाजित किया गया और उनपर शोध कार्य चलने लगे। मानव जीवन में कला (आर्ट) भाव- भावना से, विज्ञान व्यवहारिक (प्रैक्टिकल) ज्ञान से और वाणिज्य गणित से जोड़ा गया, साथ ही गणित तो एक विषय था हीं। फिर कला चित्र,साहित्य और संगीत से जुड़ा; विज्ञान,वाणिज्य और गणित में ढ़ेरों शाखाएँ निकलती चली गई। लेकिन ए सारे विषय मुख्यतः धर अर्थात बडी से और कला आंख,कान और मुंह की वाह्यवस्था से जुड़े। अब समय आ गया है कि मष्तिक में हो रहे गतिविधि से नव विषय का निर्माण किया जाए, जिसका आधार THOUGHT हो। (क्रमशः) samalak.blogspot.com, Mo.No.+917209834500, लेखक- अनिल कुमार सिन्हा email id-samalak1984@gmail.com पता-समालक सदन ,पुरनचंदलेन,कल्याणी , मुजफ्फरपुर-842001,बिहार,भारत।

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