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Tuesday, December 5, 2023

4.3.1 संक्षेपन [" मेरा मत"‌ सेरीज का]६ आलेख--{थौट:एक नव विकासित बल} ( WORLD SAMALAK ORGANIZATION के साइट पर है)

यह सेरीज मानव के प्रारंभ से अर्थात पाषाण पूर्व काल से शुरू होकर वर्तमान में मैं (स्व) की स्थिति स्पष्ट करने की ओर आगे बढ रहा है। अब तक के आलेखों से जो मत संक्षेप में स्पष्ट है वह है:- (१)कि, सनातन प्राकृतिक संरचना परं आधारित जीवन शैली है। (२) सनातन- धर्म, पंथ या संप्रदाय नहीं है। (३)पाषाण युग से कड़ोरों वर्ष पहले परमानंद और परमशक्ति (पिंडी) की अवधारणा पनपी। परमानंद की आकृति से सभ्यता का और परम पिंड से संस्कृति का संवर्धन शुरू हुआ। (४)परमानंद आकृति का भूमि पर उकेरा गया प्रतिकात्मक चिन्हों से रेखा,बिन्दु, वृत, शून्य ,जोड़- घटाओ,और गणा-भाग की अवधारणा पनपी। (५) शरीर की आकृति के शुन्यनूमा नौ अंग से अंक (१२३४५६७८९) बने। और क्रमशः कलांतर में अंकगणित व रेखा गणित बना। (६) परमालय में परमानंद की ठोस आकृति और परम पिंड की आकृति की स्थापना के बाद और वहाँ कड़ोरों अरबों वर्ष तक आनंद की सुधि प्राप्त करने के बाद आनेवाले परिणाम का उल्लेख, " मेरा मत " सेरीज के अब आनेवाले आलेखों में होगा। जिसमें ईश्वर की अवधारणा का इतिहास होगा। samalak.blogspot.com, Mo.No.+917209834500, लेखक- अनिल कुमार सिन्हा email id-samalak1984@gmail.com पता-समालक सदन ,पुरनचंदलेन,कल्याणी , मुजफ्फरपुर-842001,बिहार,भारत।

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