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Monday, January 8, 2024

यादें २७ माह की सावी के साथ २०२३

सावी मेरो बड़ी पोती है,बड़े लड़के हैप्पी की बेटी है। उन दिनों मैं हैप्पी के साथ था। सावी के साथ मेरी दो यादें है। (१) एक बड़ा कप दूध मेरे लिए बहू निचले ताखे पर रख गई, जो सतह पर से सावी की पहुंच मे था। दूध गर्म था, सावी जब उसे पकड़ने के लिए आगे बढ़ी और ताखे के पास पहुंच गई तो मैं उसके पहुंच से दूर रखने के लिए कप को पकड़ कर ऊपर उठा लिया। तब सावी कहने लगी कि इशारा करते हुए कि बीच वाले ताखे पर रख दो दादाजी, वहाँ पर रखने के लिए प्रेसर देने लगी। हलांकि वह जगह भी उसके पहुंच से सतह पर से दूर था। लेकिन मैं उसके कहे जगह पर कप रख दिया। तत्क्षण वह दौड़ते हुए गई और कुर्सी खींच कर ताखे के पास ले आई और उसपर चढ कर कप के पहुंच में आ गई,कप पुनः पकड़ने लगी। फिर मैं उस कप को और ऊपर वाले ताखे पर रख दिया। वह मायुस होकर,कुर्सी से उतरी और कुर्सी को खींच कर पुनः अपने पूर्व स्थान पर रख दी। कहने का तात्पर्य यह कि कितना स्टेप आगे तत्काल सोच कर उक्त स्थान पर कप रखने के लिए प्रेरित किया जहाँ पर कुर्सी पर चढ़कर वह पहुंच जाए।आश्चर्य यह है कि २७ महीने की बच्ची के लिए तीन चार स्टेप आगे सोच लेना, है न लोमहर्षक बात। (२) उससे भी आश्चर्य जनक बात है कि अपने परिवेश और वातावरण की भावना को पहचानते हुए, एक बहुत बड़ा प्रयास करना। हुआ यों कि शाम में सावी हौल में जिम में सीखे पाठ को दुहरा रही थी और पापा हैप्पी को दीवार में सट कर खड़ा कर दियाकि। अपने हर सफल प्रयास पर ताली बजाने के लकि प्रेरित करती,स्वयं भी ताली बजाकर खुश होती। ऐसा करते हुए अभी थोड़ा ही समय हुआ था कि वह दौरते हुए मेरे रूम में आई और बोलने लगी " दादा जी चलो, चलो दादा जी, चलो........दादाजी "। मैं भी विछावन से उतर कर उसके पीछे पीछे चल दिए। जब हौल में पहुंचे तो सावी मुझे उसी दीवार से सटाकर हैप्पी से पांच फिट की दूरी पर खड़ा कर दिया और कहने लगी " इधर और आओ, इधर इधर....." मतलब कि हैप्पी से तकरीबन एक फिट की दूरी पर। फिर कहने लगी " दादाजी ऊंगली दो,दो दो...... दादाजी" मैं भी वायें हाथ की तर्जनी उंगली बढ़ा दिया। सावी उसे पकड़ कर पापा हैप्पी से कहने लगी " पकड़ो, इसे पकड़ो पापा, पकड़ो पकड़ो....." जब हैप्पी पकड़ लिया तो सावी फिर अपना करतब दिखाने लगी। अब है न यह २७ माह की बच्ची का करिश्मा,अब चाहे इसे जो कहो, जेनरेशन गैप की भावना को या फिर घर के वातावरण को सेंस करना या कुछ और। है न यह इतनी ऊंची समझ की बात। इस वाक्या को जब मैं सावी के दादी को कहा तो कहने लगी, " मुझे भी हाथ पकड़ कर अपने रूम में ले जाती है और अपने मम्मी के पलंग पर मम्मी के पास बैठाने का प्रयास करती है। वाह क्या बात है ? ।।

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