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Thursday, May 22, 2025

धर्म और अधर्म:- दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं

धर्म और अधर्म:- दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। धर्म संस्कृति की समानुपाति और सभ्यता का व्युत्क्रमानुपाती होता है,जबकि अधर्म सभ्यता का समानुपाति और संस्कृति का व्युत्क्रमानुपाती होता है। तात्पर्य यह कि सभ्यता विकास के चरम पर होता है तो अधर्म का बोलबाला रहता है और सभ्यता अपने निम्न स्तर पर होता है तो धर्म विकसित स्तर पर होता है। धर्म का त्वरित उतार चढ़ाव समाज को झकझोर देता है, अस्थिरता प्रदान करता है।

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