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54 GAZAL 3 'बड़ी तमन्ना थी दिलजलों की, उजड़ जाए मेरा आशियाना; कहीं चिरागों की उलझनें हो, कहीं पर जलता रहे दीवाना ''
54 GAZAL 3 'बड़ी तमन्ना थी दिलजलों की, उजड़ जाए मेरा आशियाना; कहीं चिरागों की उलझनें हो, कहीं पर जलता रहे दीवाना '
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