Friday, September 13, 2024
हे जनमानस के फूल
हे जनमानस के फूल
फूल तुम्हारे अहो भाग्य कि इस धरती पर आये हो; भारत माँ के बगिया में आ, बन मुखर इसे सजाए हो। शुष्क परे जन जन के मुख पर,आज तराना गाए हो; निंद मे सोयी जनता को जैकारा से जगाए हो। कैसा है दुर्भाग्य देश का, जिसे चुना वे चोर हो गए, आजादी के समय सोये थे,जगेतो देखा भोर हो गए। लम्बी सूची ७५ वर्षों की,किसको कहाँ गिनाओगे। हे भारत के भाग्य विधाता,झुक झुक करूँ नमन मैं कबतक ; अब दामन से दूर हटो, माँ का आंचल पाक रहे। निश्छल है,निष्कपट है,आओ वोटर का कल्याण करो, किसको चूने कैसे चूने जमूरे ,करतब दिखाना बंद करो, मजमा नहीं लगाओ बूथपर, दर्शक सारे देख रहे। जै हो, जय जय हो आप की,पूरे देश में शोर हो गए, जै हो, जय जय हो आप की,पूरे देश में शोर हो गए।।
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