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Sunday, September 29, 2024

धर्म की समझ और हिन्दू

आज १००० वर्ष से आजतक के बने सबसे नये धर्म स्थलों को "हिन्दू का नहीं है" कहकर जमींदोज किया जा रहा है, जिसके नीचे तहखाने में मंदिरों हिन्दू देवी देवता की मूर्तियां निकल रही है। वैसे हीं ३सौ वीसी वर्ष से १००० या उसके बाद बने धर्म स्थलों को जमींदोज करने से, धरती के नीचे से जैन और बौद्ध धर्मावलंबी का धर्मस्थलों का अवशेष मिल रहा है और मिलेगा। जैन और बौद्ध धर्म के कन्टेमपरोरी अन्य मतावलंबियों जो एक लंबा इतिहास है, २४वें तिर्थंकर जैन और २७वें बुद्ध के पीढ़ी-दर-पीढ़ी का है, की खुदाई कार्य से जाहिर सी बात है, मंदिरों, मस्जिदों का अवशेष तो नहीं ही मिलेगा। वहां मूल सनातन पद्धति, आदि मानव के संसाधनों से निर्मित आनंद स्थलों का अवशेष मिलेगा, जहां पर परमालयों और उसके अंदर मिट्टी और पत्थर से बने "भगऔर लिंग" की आकृति मिलेगी जो आज शिवशक्ति और परमपिंड मातृरूप पींडी का आज भी सिम्बौल है, जिसे माता का गहवर कहते हैं। अतः प्रकृति के अंदर शुरू से आजतक जो क्रमिक बदलाव हुए हैं, उन्हें उन्हें प्रतिस्पर्धा , बदले की भावना, प्रतिकार या प्रतिशोध आदि के नजरिए की जगह इतिहास का धरोहर मानकर संरक्षित किया जाना चाहिए, जिससे अन्य ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा भी हों सके। इतिहास का धरोहर मानकर संरक्षित किया जाना चाहिए।

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