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सुधार- बेझिझक समर्पण की हालत, बेहिचक बहकने की बातें; एक रात भी होगी कि कहने की,कहना है क्या मालूम नहीं।।
बेझिझक समर्पण की हालत, बेहिचक बहकने की बातें; एक रात भी होगी कि कहने की,कहना है क्या मालूम नहीं।।
सुधार- बेझिझक समर्पण की हालत, बेहिचक बहकने की बातें; एक रात भी होगी कि कहने की,कहना है क्या मालूम नहीं।।
ReplyDeleteबेझिझक समर्पण की हालत, बेहिचक बहकने की बातें; एक रात भी होगी कि कहने की,कहना है क्या मालूम नहीं।।
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